🔺 उल्हासनगर में नए मरीज 23, एक्टिव मरीज 317
कोरोना मुक्त 9869, मृत्यु 350, कुल संख्या 10,536
वैक्सीन पर कंपनियों के दावे
फाइजर-बायो एनटेक
- कोवि-19 के लिए बन रही पहली वैक्सीन के बारे में दावा है कि यह 90 फीसदी तक कारगर है
- ये वैक्सीन दुनिया की बड़ी दवा कंपनी फाइजर और बायो एनटेक ने मिलकर तैयार की है
- इसका तीसरे चरण का ट्रायल यूरोप और उत्तरी अमेरिका के विभिन्न शहरों में हो चुका है
- कंपनियां जल्द ही वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की अनुमति के लिए आवेदन करेंगी
- कंपनी का दावा है कि वह ब्रिटेन के बाजार में क्रिसमस से पहले अपनी वैक्सीन उतार देगी
मॉडर्ना
- अमेरिकी कंपनी के वैक्सीन ट्रायल के नतीजों के अनुसार, यह 94.5 फीसदी तक कामयाब है
- इसका तीसरे चरण का ट्रायल वॉशिंगटन हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट में 30 हजार लोगों पर किया गया
- इनमें से आधे लोगों को चार सप्ताह के अंतर पर दो खुराक दी गई। बाकी को डमी इंजेक्शन दिए
- कंपनी इस साल के अंत तक अमेरिका समेत दुनिया के बाजारों में सौ करोड़ खुराक उपलब्ध कराएगी
स्पूतनिक-5
- रूस द्वारा तैयार किए जा रहे 'स्पूतनिक-5' नामक टीका परीक्षण में 92 प्रतिशत तक प्रभावी पाया गया
- टीके के तीसरे चरण के परीक्षण में 40 हजार से अधिक वॉलंटियर्स पर अध्ययन किया गया
- रूस की सरकार ने इस स्पुतनिक-पांच को दुनिया की पहली कोविड-19 वैक्सीन बताया था
- भारत में इसके वितरण के लिए डॉ रेड्डीज और रूस के गेमलया इंस्टीट्यूट ने समझौता किया है
सिनोवैक बायोटेक
- चीन की प्राइवेट फार्मा कंपनी सिनोवैक बॉयोटेक की वैक्सीन आख़िरी चरण में पहुंच चुकी है
- सरकारी मंजूरी से पहले किसी वैक्सीन को इंसानों पर परीक्षण में खरा उतरना होता है
- कोरोना वैक नाम की इस वैक्सीन का फिलहाल ब्राजील में नौ हजार वॉलिंटियर्स पर ट्रायल हो रहा है
- एक ट्रायल वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रॉडक्टस में सिनोफार्म कंपनी के साथ भी जारी है
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी- एस्ट्राजेनका
- यह वैक्सीन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया मिलकर बना रही हैं
- इसका भी फेज-3 का ट्रायल ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और द जेनर इंस्टीट्यूट में पूरा कर लिया गया है
- इंसानी परीक्षण के लिए कपंनी की ओर से अमेरिका और भारत को चुना गया था
- भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा समेत कई देशों में इसे बाजार में लाने की अनुमति का इंतजार है
- सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता फर्म सीरम इंस्टिट्यूट का दावा है कि भारत को दिसंबर तक 10 करोड़ डोज मिलेंगी
वैक्सीन को लेकर संशय भी
बाजार में वैक्सीन आने के बाद भी इसकी सफलता को लेकर संशय बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसी क्रेडिट सुईस की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय कंपनियां देश की जरूरत के लायक वैक्सीन डोज बनाने में सक्षम हैं। लेकिन, इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण वैक्सीन आने के बाद एक साल में टीकाकरण अभियान एक तिहाई ही हो पाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक देश की अधिकतर आबादी को टीका लगाने के लिए भारत को 170 करोड़ डोज की जरूरत होगी। भारतीय कंपनियां 240 करोड़ डोज बना सकती हैं।
-रॉयल सोसायटी के शोधकर्ताओं ने चेताया है कि हमें तार्किक और व्यावहारिक होने की ज़रूरत है। टीका असल में कितना कारगर होगा यह उसके बाजार में आने के बाद ही पता लगेगा। इंपीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने टीके की सफलता को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, कई बार टीका आने के बावजूद हमें विफलता हाथ लगती है।
वैक्सीन से नहीं रुकेगा कोरोना : डब्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ ने आशंका जताई है कि वैक्सीन आने के बाद भी वो इस महामारी को अपने आप रोकने में कामयाब नहीं हो सकेगी। संगठन प्रमुख टेड्रोस अधानोम घेब्रियेसिस के अनुसार, वैक्सीन आने के बाद वो हमारे पास मौजूद अन्य माध्यमों को मजबूत तो करेगी लेकिन उन्हें बदल नहीं सकती। ट्रेडोस ने कहा कि एक वैक्सीन सिर्फ अपने दम पर महामारी को रोक नहीं सकती।
कंपनियों के शेयर के दाम उछले
दवा कंपनियों के वैक्सीन लगभग तैयार कर लेने की घोषणा का असर इनके शेयरों के दाम पर दिखा है। कोरोना की वैक्सीन का दावा करने के बाद फाइजर का शेयर 19 फीसदी से ज्यादा उछला था। यह एक साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया। यह शेयर मार्च से अब तक 63 फीसदी बढ़ गया है। वहीं, हेस्टर बायोसाइंसेज के शेयरों में 20 फीसदी का अपर सर्किट लगाना पड़ा।अहमदाबाद की इस दवा कंपनी के शेयर एक माह में 35 फीसदी चढ़ चुके हैं।