महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव में OBC आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सशर्त मंजूरी दी
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने निकाय चुनावों पर ओबीसी आरक्षण को लेकर चुनावी प्रक्रिया का सशर्त रास्ता साफ कर दिया.
अदालत ने उन सभी नए निकायों में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण अधिसूचित करने पर रोक लगाई है, जिनके चुनाव अभी घोषित नहीं हुए हैं. वहीं, जिन नगर परिषदों और नगर पंचायतों में पहले से 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण अधिसूचित हो चुका है, वहां चुनाव तो तय कार्यक्रम के अनुसार होंगे, लेकिन उनके नतीजे रिट याचिकाओं के अंतिम फैसले पर निर्भर करेंगे.
बता दें कि आज मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ महाराष्ट्र में ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. पीठ ने मामले को तीन-न्यायाधीशों की बड़ी बेंच को भेजते हुए अगली सुनवाई 21 जनवरी तय की है.
2 दिसंबर को होने हैं निकाय चुनाव
सुनवाई के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील बलबीर सिंह ने कोर्ट को बताया कि 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों में चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और 2 दिसंबर को मतदान होना है. इनमें से 40 नगर परिषद और 17 नगर पंचायत ऐसे हैं जहां आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक है. वहीं दूसरी ओर, 29 महानगरपालिका, 32 जिला परिषद और 346 पंचायत समितियों के चुनाव अभी अधिसूचित नहीं हुए हैं.
'आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं'
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि जिन निकायों के चुनाव अभी नहीं घोषित हुए हैं, उनमें किसी भी स्थिति में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती. कोर्ट को यह भी बताया गया कि केवल दो महानगरपालिकाएं ऐसी हैं जहां आरक्षण 50 प्रतिशत से ऊपर जाने की संभावना है. इस पर अदालत ने कहा कि इनके चुनाव भी अधिसूचित किए जा सकते हैं, लेकिन इनके परिणाम भी रिट याचिकाओं के नतीजों के अधीन रहेंगे.