* डॉक्टरों की टीम सक्रिय * कोरोना के बिलों की जांच होना अनिवार्य
* केंद्र व राज्य सरकार की पॉलिसी के तहत होम क्वारनटाईन में ईलाज किया जा सकता है
* खान-पान, सैनेटाईजिंग, दवाईयां, किट, इमारत सील आदि के बन रहे झुठे बिल
उल्हासनगर। भारत के हर कोने में कोरोना के मरीज जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं, लेकिन उल्हासनगर शहर में कोरोना बीमारी को ही धंधा बनाकर रखा गया है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि इस गोरख धंधे में डॉक्टरों की सक्रिय टीम निजी डॉक्टरों के साथ इसमें पूरी तरह शामिल है और लोगों को लूट रहे हैं। मनपा को मिले फंड के तहत जब कोरोना के बिलों की जांच होगी तो सच्चाई खुद ब खुद सामने आ जाएगी। कोरोना का बड़ा घोटाला सामने आने वाला है।
एक तरफ जहां कोरोना के बिलों में गड़बड़ी की जानकारी सूत्रों ने दी है वहीं केंद्र व राज्य शासन द्वारा आदेश निकाला गया है जिसमें यह कहा गया है कि अगर मरीज अपना ईलाज होम क्वारनटाईन के चलते कुछ शर्तों के साथ कर सकता है लेकिन शहर के कुछ सक्रिय निजी डॉक्टरों ने मनपा के आरोग्य अधिकारी के साथ मिलीभगत करके निजी होटलों को पैकेज के तहत मरीजों को लूटने का काम शुरू किया है। हमें जानकारी मिली है कि राज्य शासन ने कहा है कि कोरोना के जो गंभीर मामले नहीं ही कम लक्ष्ण है उन्हें घरों में आयसोलेशन के तहत ईलाज किया जा सकता है शर्त सिर्फ यह है कि घर में अलग रुम व अलग बाथरुम होना चाहिए साथ ही घर में वृद्ध अथवा बच्चा होना नहीं चाहिए। इस तरह की सुविधा अंबरनाथ में भी उपलब्ध है लेकिन उल्हासनगर शहर में इस तरह की सुविधा न देकर इसे गोरख धंधा बना दिया गया है। इसकी शिकायतें हमें लगातार मिल रही हैं।
एक तरफ केंद्र व राज्य शासन द्वारा कोरोना टेस्ट की रक्कम आधी कर रही है और कई मुफ्त सुविधाएं दे रही है वहीं उल्हासनगर में किसी न किसी बहाने होटलों व अस्पतालों में अनाप-शनाप रक्कम वसूल किया जा रहा है। हाल ही में शहर के एक वकील श्री चावला कोरोना पॉजिटीव पाए गए थे उन्हें कहा गया था कि या तो मनपा सेंटर में रहे या तो कोई भी होटल में व्यवस्था करें। वकील श्री चावला की टीम मनपा प्रशासन को विनंती करती रही लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। आखिरकार उन्हें सेंट्रल पार्क में क्वारनटाईन होना पड़ा। जहां का जायजा हमने लिया तो हमने पाया कि वहां पर 5 से 6 हजार के बीच में प्रति व्यक्ति का लिया जा रहा है। इस रक्कम में पूरे दिन में कुछ गोलियां और खाना दिया जा रहा है। मरीज को बताया जा रहा है कि इसमें अस्पताल की भी सुविधा है जो उपलब्ध नहीं है। यहां पर अस्पताल एक अलग पार्टी और होटल एक अलग पार्टी है यह दिखाया जा रहा है लेकिन दोनों एक ही निजी डॉक्टर का है और कोरोना पैकेज के तहत 50 से 60 हजार रुपए ट्रीटमेंट के लिए जा रहे हैं। पता चला है कि उस निजी डॉक्टर को इस कार्य के लिए मनपा के आरोग्य अधिकारी डॉ. मोहनालकर का आर्शिवाद प्राप्त है। अब यह ग्रुप उल्हासनगर-2 के माया रेसीडेंसी और केबी रोड स्थित मीरा हॉस्पीटल में भी इसी तरह के सेंटर बनाने का प्रयास कर रहे हैं और अपना कोरोना का गोरख धंधा और भी बढ़ा रहे हैं। खबर मिली है कि डॉ. मोहनालकर जान बूझकर होम आयसोलेशन की अनुमति नहीं दे रहा है ताकि जो लोग सक्षम है वो इन निजी ट्रीटमेंट का लाभ उठाएं।
ज्ञात हो कि मनपा द्वारा बनाए गए अस्पताल व क्वारनटाईन सेंटर में किसी भी तरह का रख-रखाव नहीं है, कई दिनों तक चदर नहीं बदली जाती, घटिया दर्जे का खाना दिया जा रहा है और साफ-सफाई भी नहीं हो रही है। यह जान बूझकर किया जा रहा है ताकि मरीज तंग होकर अच्छी जगह पर अपना ईलाज करवाएं। इस गंदगी को देखते हुए सक्षम मरीज होम आयसोलेशन होना चाहते हैं लेकिन अनुमति न होने के कारण इस तरह के होटलों में उन्हें जाना पड़ रहा है।
उल्हासनगर के दौरे पर आए पालक मंत्री एकनाथ शिंदे ने मनपा के भंडार विभाग के अधिकारी मनिष हिवरे की क्लास ली और उन्हें लताड़ा। मरीजों को कितना पानी दिया जाता है? क्या उन्हें फ्रूट मिल रहा है लेकिन वो ठीक तरह से जवाब देने में असमर्थ रहे। मनपा प्रशासन की लापरवाही से शहर के कोविड अस्पताल व कोविड सेंटर में बाथरुमों की हालत बद से बदतर हो गई है। कंटेनमेंट झोन के लिए जो सीलिंग की जा रही है उसके बिल भी अनाप-शनाप बन रहे हैं। बिना टेंडर के ठेके दिए गए हैं। 19 मार्च से शहर में पहला मरीज मिला था तबसे अब तक का अगर प्रशासन से हिसाब लिया जाए तो इसमें बड़ा झोल सामने आएगा। जितने मरीज है उससे ज्यादा के खाने का बिल बन रहा है। क्या इस गोरख धंधे को रोकने में शहर के नेता सफल होंगे?