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उल्हासनगर में मिले 212 नए मरीज, कुल 2559, शहर में आपात सेवा की जरूरत, गैर कोरोना ग्रस्त मरीजों की हो रही मौत

* एक्टिव मरीज 1158, कोरोना मुक्त 1346, अब तक 55 की मौत
* अस्पतालों में वेंटीलेटर नहीं मिलने से दम तोड़ रहे हैं मरीज
* सांसद, विधायक, महापौर को ध्यान देने की जरूरत
* श्मशान भूमि में दह संस्कार के लिए कतारें
* मनपा मुख्यालय अथवा सेंट्रल अस्पताल में बने हेल्पडेस्क जो सीरियस मरीजों की जान बचा सके
उल्हासनगर। उल्हासनगर शहर में कोरोना का कहर जारी है। शनिवार को रिकार्ड तोड़ 212 पाॊजिटीव मरीज मिलने से शहर के हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं। वहीं मृतकों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हो रही है शनिवार को कोरोना से तीन मरीजों की मौत हुई है जिससे मृतकों की संख्या अब 55 हो गई। शनिवार को राहत की खबर यह है कि 90 मरीज डिस्चार्ज हुए हैं जिससे कोरोना मुक्त मरीजों की संख्या अब 1356 हो गई है। 1158 एक्टिव मरीज अपना ईलाज विभिन्न अस्पतालों में करवा रहे हैं। जिनमें 224 मरीज होम आयसोलेशन में हैं और शहर के बाहर 105 मरीज अपना ईलाज करवा रहे हैं। आज सबसे ज्यादा मरीज इन इलाकों में मिले हैं जिनमें खेमानी से 15, शांतिनगर से 18, पवाई चौक से 10, कैम्प 5 ओटी से 10 आदि मरीज मिले हैं। नीचे दिए गए सूची में पूरी जानकारी उपलब्ध है।

उल्हासनगर शहर में 19 मार्च को कोरोना का पहला मरीज मिला था लेकिन करीब एक माह बाद 29 अप्रैल को कोरोना से पीड़ित एक वृद्धा महिला ने दम तोड़ा, तबसे से अब तक शहर में कोरोना ग्रस्त मरीजों की संख्या में 2500 पार हो गई है जबकि कोरोना से मरने वालों की संख्या 50 पार गई है। जो सरकारी आकड़ा है लेकिन गैर कोरोना ग्रस्त मरीजों की संख्या में भी अब लगातार वृद्धि हो रही है। उसकी वजह यह है कि गैर कोरोना मरीजों को समय पर ईलाज, वेंटिलेटर व आक्सीजन नहीं मिल पाने से वो दम तोड़ रहे हैं। उन मरीजों को पहले कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट लाने को कहा जाता है उसके बाद ईलाज की प्रक्रिया शुरू की जाती है शहर में मृतकों की संख्या को रोकने के लिए सांसद, विधायक और महापौर को ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि अब तो श्मशान भूमि में भी दह संस्कार के लिए कतार में खड़ा होना पड़ रहा है। अब नए आए मनपा आयुक्त से शहरवासियों को उम्मीद है जोकि एक डाॅक्टर भी हैं उन्हें मनपा मुख्यालय अथवा सेंट्रल अस्पताल में एक हेल्पडेस्क बनाए जहां ऐसे आपात कालीन स्थिति में सीरियस मरीजों के लिए जिन्हें वेंटीलेटर व आक्सीजन की सबसे ज्यादा आवश्यकता है। शहर में एक ऐसे आपात अस्पताल अथवा केंद्र बनाया जाए जहां इन सीरियस मरीजों को तुरंत एडमिट किया जाएं वो चाहे कोरोना पीड़ित हो चाहे गैर कोरोना पीड़ित। उनसे कोरोना रिपोर्ट पूछने से पूर्व ईलाज दिया जाएं ताकि लोगों की जान बचाई जा सके। शहर में कई वृद्धाओं के साथ उपरोक्त सुविधा न मिलने से अब युवा भी दम तोड़ रहे हैं। रोजाना सोशल मीडिया पर इस तरह के मैसेज आते हैं जिन्हें वेंटीलेटर व आक्सीजन की मदद चाहिए होती है उन ग्रुपों में वीआयपी मौजूद भी होते हैं लेकिन जब तक मरीज को ईलाज मिले वो दम तोड़ देते हैं। ज्ञात हो कि शहर में कोरोना ने पूरी तरह पैर पसार लिए हैं। इस कोरोना की चपेट में शहर के नागरिकों के साथ वीआयपी भी चपेट में आ गए हैं। उपमहापौर भगवान भालेराव, स्थायी समिति सभापति, शिवसेना, भाजपा, राकांपा के नगरसेवक भी संक्रमित हो चुके हैं। ज्यादातर वीआयपी का ईलाज या तो होम आयसोलेशन में हो रहा है अथवा मुंबई के अस्पतालों में हो रहा है क्योंकि उल्हासनगर में कोई खास सुविधा उपलब्ध नहीं है। मनपा कर्मी, पुलिस कर्मी, आरोग्य कर्मी को ही शहर में ट्रीटमेंट नहीं मिल रहा है तो आम लोगों की क्या हालत होगा। कोरोना बीमारी के कारण आम बीमारियों से ग्रस्त मरीज डरे हुए हैं। ईलाज से वंचित उनके परिजन बिना ईलाज के लिए डर के कारण घरों में कैद है। अगर उन्हें ईलाज मिले तो लोगों की जान बचाई जा सकती है। निजी अस्पतालों में डाॅक्टर ईलाज दे रहे हैं। कोरोना चेकअप पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।


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