लाईट बिल व हाऊस टैक्स बिल माफ करने की मांग बढ़ी
उल्हासनगर। हीरो बोधा
कोरोना वायरस के कारण 60 दिनों से घरों में कैद लोग अपना जीवन तो बचा रहे हैं लेकिन उस जीवन को चलाने के लिए कोई साधन न होने के कारण उनकी हालत दिनों दिन खस्ता होती जा रही है। इस महंगाई और ऊपर से कोरोना महामारी के दौरान किसी न किसी तरीके से यूं तो हर वर्ग की हालत खस्ता है। निचले वर्ग के लिए सरकार, सामाजिक संस्थाएं आदि मदद कर रही हैं लेकिन बिचौलिये वर्ग जिसे हम मीडिल क्लास कहते हैं वो न तो कह पा रहे हैं और न अब सह पा रहे हैं। मीडिल क्लास फैमली पर ईएमआय का बोझ, कोई बचत नहीं, छोटे दुकानदारों का सामान दुकानों में बंद, व्यापार बंद, नौकरियां ठप्प, कमाई का साधन बंद, घरेलू खर्चे जारी कोई सरकारी राहत व मदद नहीं होने से मीडिल क्लास बड़ी मुश्किल में अपना गुजर बसर कर रहा है। यह मीडिल क्लास के लोग बैरक, छोटे घरों अथवा छोटे फ्लैटों में रहते हैं जहां कोई अपने बीमार वृद्ध को संभाल रहा है तो कहीं अपने भरे पूरे परिवार को। इन लोगों की सूद लेने वाला कोई नहीं है। रोजाना यह कई परेशानियों से जुझ रहे हैं। इनको सरकार द्वारा राहत देनी चाहिए क्योंकि इनका कहना है कि अब हमारे पास खोने के लिए कुछ नहीं बचा है। मजदूरों के बाद अब स्थानीय मीडिल क्लास लोगों पर भूखमरी का साया मंडरा रहा है। नौकरीपेशा लोगों को अब डर सता रहा है कि क्या उन्हें वापस काम(जाॅब)मिलेगा अथवा उन्हें पगार मिलेगी। वहीं छोटे व्यापारियों को डर सता रहा है कि क्या लाॅकडाऊन के बाद उनका कारोबार फिरसे कैसे चलेगा। क्योंकि कोरोना संकट से निपटने के लिए अब काफी समय लगना तय है। कुछ बुद्धजीवियों की राय है कि कंटेनमेंट झोन को छोड़कर अब आर्थिक हालतों को देखते हुए बाजारों को शुरू करना अनिवार्य होते जा रहा है क्योंकि अब मीडिल क्लास का गुजर बसर कठिन हो गया है। कई लोगों के डिपरेशन में जाने की जानकारी लोगों ने दी है। यह हालत हर राज्य के हरेक शहर की बताई जा रही है। सामाजिक संस्थाओं ने अब निचले वर्ग व मीडिल क्लास लोगों के लाईट बिल व हाऊस टैक्स बिल माफ करने की मांग की है।