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अंबरनाथ की तर्ज पर खुले उल्हासनगर में व्यापार, विधायक व नेता तमाशाबीन

* नेताओं की राजनीति का शिकार हुए व्यापारी
* व्यापारिक शहर उल्हासनगर में 72 दिनों से धंधा बंद
* व्यापारियों का हाल बेहाल, बैंकें हो रही खाली
* तीन विधायक, सांसद, महापौर, नगरसेवक व नेता तथा व्यापारी संगठन राहत दिलाने में असफल
उल्हासनगर। हीरो बोधा

  देशभर में लाॅकडाऊन 25 मार्च से शुरू हुआ था लेकिन उल्हासनगर शहर में 20 मार्च से ही लाॅकडाऊन की शुरुआत हो गई थी। शहर में पहली कोरोना ग्रस्त महिला 19 मार्च को मिलने के बाद तीन दिनों तक शहर बंद रखने का आव्हान किया गया था। आज करीब 72 दिनों से शहर का व्यापार पूरी तरह ठप्प है। छोटे बड़े दुकानदारों का हाल बेहाल हो गया है उनका कहना है कि बैंक में जो पैसे रखे थे अब वो भी खत्म होने को आए है और अब अगर व्यापार न खुला तो भूखमरी की नौबत हम पर मंडरा रही है। ऐसे में व्यापारियों ने शहर में अंबरनाथ की तर्ज पर दुकानों को खोलने की मांग की है। लेकिन शहर के विधायक व नेता तमाशाबीन बनकर बैठे हुए हैं वो व्यापारियों को किसी भी तरह से राहत दिलाने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। उल्हासनगर शहर को तीन विधायक प्राप्त हैं, मनपा में शिवसेना की सत्ता है सांसद व महापौर शिवसेना का है राज्य में शिवसेना की सत्ता है। 78 नगरसेवक हैं लेकिन कोई भी व्यापारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए उन्हें राहत नहीं दिला रहा है। किसी भी नेता अथवा नगरसेवक ने हाऊस टैक्स अथवा बिजली बंद माफ करने की भी मांग नहीं की है। शहर में तीन प्रमुख व्यापारी संगठनाएं हैं उनकी तरफ से भी व्यापारियों को राहत नहीं मिल रही है। शहर में कोरोना के मरीज की संख्या 300 पार हो गई है उसका कारण व्यापारी नहीं है उसका जिम्मेदार प्रशासन है।
   

   ज्ञात हो कि अंबरनाथ व बदलापुर शहर में आज 30 मई से कुछ शर्तों अनुसार दुकानें सुबह 9 से शाम 5 बजे तक खोलने की अनुमति दी है। प्रशासकीय अधिकारी जगतसिंग गिरासे द्वारा व्यापारियों की मांग पर ठाणे जिलाधिकारी को यह प्रस्ताव भेजा था जिसके फलस्वरूप बदलापुर व अंबरनाथ के व्यापारियों को बड़ी राहत मिली है और दो ग्रुप के अंतर्गत 3-3 दिन दुकानें खोलने का आदेश जारी हुआ है। अंबरनाथ व्यापारी संगठना ने कई दिनों से अधिकारियों के साथ संपर्क कर पत्र व्यवहार किया था। ऐसे में उल्हासनगर वासियों को यह समझ नहीं आ रहा था कि हमारे शहर के विधायक, नेता व व्यापारी संगठन क्या कर रहे हैं। हालांकि यूटीए का शिष्टमंडल शुक्रवार को मनपा आयुक्त से दुकानें खोलने की मांग की लेकिन आयुक्त उन्हाले ने उन्हें आश्वासन दिया भरोसा नहीं दिया है। उन्होंने लाॅकडाऊन 5.0 के आदेश का इंतजार करने को कहा है। यूटीए ने पूर्व आयुक्त से कुछ दिनों के लिए कुछ दुकानों को खुलवाया भी था। जबकि अगर शहर के विधायक, महापौर व नेता चाहे तो शासन से अंबरनाथ की तर्ज पर शहर में दुकानें खोलने की अनुमति ला सकते हैं लेकिन सत्तापक्ष व विरोधियों की आपसी रंजिश के चलते व्यापारियों को इसका परिणाम भुगतना पड़ रहा है क्योंकि हर कार्य हेतु श्रेय लेने के लिए होड़ मची रहती है। व्यापारी उनकी राजनीति का शिकार बन बैठे हैं।

   कई व्यापारियों ने वर्तमान विधायक कुमार आयलानी पर आरोप लगाया है कि इन ढाई महिनों में विधायक शहर में कहीं भी नजर नहीं आए वो केवल अपनी पत्नी के वार्ड में फोटो खिंचवाते हुए एक-दो बार नजर आए हैं। नेताओं की इस राजनीति का खामियाजा शहर की जनता व व्यापारी भुगत रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि कोरोना वायरस का प्रकोप व्यापार के कारण नहीं बढ़ रहा है यह वायरस मुंबई से आ रहा है और ज्यादातर झोपड़पट्टी इलाके में फैल रहा है। इसलिए व्यापार को शुरू करना चाहिए ताकि शहर की बिगड़ी आर्थिक व्यवस्था में सुधार आ सके। हालांकि कई व्यापारी आज भी चोरी छिपे धंधा कर रहे हैं। व्यापार के साथ रिक्शा भी कुछ घंटों के लिए शुरू करनी चाहिए। रिक्शा चालक भी भूखमरी के कगार पर हैं। कई शहरवासियों को डर है कि अगर व्यापार खुला तो शहर में भीड़ होगी और कोरोना का प्रकोप भी बढ़ेगा। इसलिए सप्ताह में 3 दिन नियमानुसार व्यापारियों ने दुकानें खोलने की अनुमति मांगी है।
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