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सेंट्रल अस्पताल की लापरवाही से नाराज टीओके पदाधिकारियों ने किया घेराव

आरोग्य मंत्री राजेश टोपे से की जांच की मांग

    उल्हासनगर। कर्जत से कसारा तक के परिसर से उल्हासनगर के सरकारी मध्यवर्ती अस्पताल में हजारों लोग ईलाज कराने के लिए आते हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण के इस कठिन समय में सेंट्रल अस्पताल में इन दिनों ईलाज न मिलने से मासूमों की जान जा रही है। गरीबों को ईलाज नहीं मिल पा रहा है। कुछ दिनों पूर्व वरिष्ठ पत्रकार रामेश्वर गवई की सुपुत्री कु.प्रणाली गवई को अस्पताल की लापरवाही से समय पर ईलाज न मिलने के कारण 20 अप्रैल को युवती का निधन हो गया वहीं एक गर्भवती महिला को दो बार अस्पताल से लौटाया गया और कलवा जाने के लिए कहा गया वहां पर भी ईलाज न मिलने के कारण भिवंडी बायपास पर एम्बूलैंस में ही उसकी प्रसूति हो गई उसने एक स्वस्थ बालक को जन्म दिया। इस तरह एक आदिवासी बच्चे की हड्डी टूटने पर उसे ईलाज समय पर नहीं मिल पा रहा था इस तरह की कई शिकायतें सेंट्रल अस्पताल के बारे में कोरोना के दौरान आ रही है। मध्यवर्ती अस्पताल की इस लापरवाही की शिकायत टीओके प्रमुख ओमी कालानी को जैसे ही मिली उन्होंने अपना शिष्टमंडल मंगलवार को सेंट्रल अस्पताल भेजा जहां टीओके नेताओं ने उपरोक्त मामलों में लापरवाही भरतने के चलते अधिक्षक डाॅ. सुधाकर शिंदे से मुलाकात की और स्पष्टीकरण मांगा। इस मामले में आरोग्य मंत्री से जांच की मांग भी की गई है। ओमी कालानी को आरोग्य मंत्री राजेश टोपे ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच का आश्वासन दिया है। इस शिष्टमंडल में टीओके प्रवक्ता कमलेश निकम, पंकज तिलोकानी, शिवाजी रगडे आदि टीओके के पदाधिकारी शामिल थे।
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