- सब्जी मंडी पर रहती है भीड़
- रोजाना सुबह व रात में वाॅक पर जाते हैं लोग
- रास्तों पर आम दिनों की तरह ही रहती है भीड़
- हिराघाट पर धड़ल्ले से निजी वाहनों को मिल रहा पेट्रोल
- दुपहिया पर बिना कारण घूमते पाए जाते हैं लोग
- लाॅक डाऊन का नहीं हो पा रहा पालन
- निजी अस्पताल नहीं दे रहे मरीजों की जानकारी
- विदेशी शराब व गुटखा दुगने दामों में घरों से बेचा जा रहा है
उल्हासनगर। हीरो बोधा
उल्हासनगर शहर की इसे खुश किस्मती कहे या संतों का आर्शिवाद जिस कारण शहर में अब तक कोरोना का कोई मरीज नहीं है शुरुआती दिनों में एक महिला कोरोना से संक्रमित हुई थी लेकिन बाद में वो भी ठीक हो गई। लेकिन परिसर के शहर ठीक नहीं है वहां आज भी कोरोना पैर पसारे हुए है जिस कारण उल्हासनगरवासी शहर में कोरोना का मरीज न होने के कारण बिंदास निडर होकर घूम रहे हैं और लाॅक डाऊन का पालन नहीं कर रहे हैं। जहां प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी हाथ जोड़कर यह आव्हान कर रहे हैं कि घरों से बाहर न निकले जान है तो जहान है उस आव्हान को भी ताक में रखकर कई शहरवासी अपने साथ दूसरों की जिंदगी से भी खिलवाड़ कर रहे हैं। सुबह में बिना मास्क पहने सब्जी मंडी में भीड़ देखी जा रही है। कैम्प 1 से 5 तक के सभी सब्जी मंडियों का यही हाल है। दोपहर 2 बजे तक लोगों को खरीददारी की सहुलियत दी गई है लेकिन लोग इसका दुरुपयोग कर रहे हैं और सामाजिक दूरी का पालन न करते हुए कोरोना को फैलने का आमंत्रण दे रहे हैं। गुरुवार को कैम्प 5 के दशहरा मैदान परिसर में आयोजित विवाह समारोह पर पुलिस ने छापा मारकर दुल्हा-दुल्हन समेत परिवार पर कार्रवाई की है। साथ ही शराब बेच रहे युवकों को पकड़ा है। शहर में धड़ल्ले से घरों पर चोरी छुपे देश व विदेशी शराब सहित गुटखा बेचा जा रहा है। पुलिस व मनपा प्रशासन का सराहनीय कार्य है लेकिन उनकी मेहनत को शहरवासी व्यर्थ कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि ठाणे जिले में 286 कोरोना के मरीज हैं जिसमें ठाणे शहर में 110, उल्हासनगर के पड़ोसी शहर कल्याण व डोंबिवली में कोरोना के मरीजों की संख्या 50 हो गई है जबकि अंबरनाथ में दो व बदलापुर में 11 कोरोना के मरीज ठाणे के सिविल अस्पताल में अपना ईलाज करवा रहे हैं। ठाणे जिले के ठाणे, कल्याण, नवी मुंबई, मीना भाईंदर, वसई-विरार को रेड झोन घोषित कर दिया है लेकिन उल्हासनगर शहर को आरैंज झोन रखा गया है क्योंकि यहां कोरोना का अब तक कोई मरीज नहीं है। इसका यह मतलब नहीं कि यहां वायरस नहीं फैल सकता। शहर की सीमाएं सील हैं लेकिन अत्यावश्यक सेवाओं का आवागमन जारी है। कोरोना बीमारी कहीं से भी कभी भी आ सकती है और इसका एक ही उपाय है सामाजिक दूरी और लाॅक डाऊन का पालन करना लेकिन शहर के अति समझदार वर्ग इसका पूर्ण रूप से उल्लंघन कर रहे हैं। सुबह व रात में गोल मैदान आदि परिसरों में घरों से बाहर निकलकर पैदल वाॅक करते हुए लोग नजर आते हैं और यह कहते भी सुने जाते हैं कि उल्हासनगर में कोरोना नहीं आएगा। रास्तों पर भी आम दिनों की ही तरह भीड़ सुबह से दोपहर में देखी जा रही है। कैम्प 3 स्थित हीराघाट के पेट्रोल पम्प पर निजी दुपहिया वाहनों को पेट्रोल दिया जा रहा है जबकि निजी वाहनों को पेट्रोल देने पर पाबंदी लगा दी गई है। सेवाधारी रूपी कुछ युवक बिना कारण भी दुपहिया वाहनों पर घूमते नजर आ रहे हैं। ऐसे युवकों पर पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं खबर मिली है कि निजी अस्पताल द्वारा भी अपने मरीजों की जानकारी मनपा प्रशासन को नहीं दिए जाने कोरोना के मरीजों की जानकारी नहीं मिल पा रही है। इस पर खासा ध्यान दिया जाना चाहिए। कुछ मरीज शहर के निजी अस्पतालों में खासकर रात में ईलाज करवा रहे हैं जिन्हें बाद में ठाणे अथवा मुंबई भेजा जा रहा है। लेकिन उसकी जानकारी मनपा प्रशासन तक नहीं पहुंच रही है।
शहरवासियों की लापरवाही से कोरोना वायरस शहर में कभी भी दस्तक दे सकता है। अगर कोरोना को शहर से दूर ही रखना है तो शहरवासियों को सतर्क रहना होगा और सामाजिक दूरी के साथ सड़कों पर न निकलने की शपथ लेनी होगी अन्यथा जो निकले उसे पुलिस के हवाले करना चाहिए ताकि यह रोग सबको अपने आगोश में न ले ले। 3 मई तक इस लाॅक डाऊन का पूर्ण रूप से पालन करने की अपील की गई है।