उल्हासनगर। कोरोना वायरस के कारण करीब 40 दिनों से देशभर में लॉकडाऊन है ऐसे में उल्हासनगर शहर में बाहरी राज्यों से काम करने आए मजदूर फंसे हुए हैं। कोई काम न होने के कारण मजदूर भूखमरी के शिकार हो रहे हैं। उल्हासनगर-5 में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा जीन्स का कारोबार होता है जिसमें हजारों की संख्या में कामगार काम कर रहे हैं। यहां पहले से ही कारोबार ठप्प होने के कारण कई मजदूर अपने गांव चले गए लेकिन आज भी हजारों मजदूर लॉकडाऊन के कारण फंसे हुए हैं और भूखमरी झेल रहे हैं ऐसे में उल्हासनगर गारमेंट्स मैन्युफेक्चर्स एसोसिएशन द्वारा यहां के करीब 8 हजार मजदूर व प्रवासियों के लिए भोजन की व्यवस्था रोजाना की जा रही है। जोकि उनके लिए बड़ी राहत है।
उल्हासनगर गारमेंट्स मैन्युफेक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपी वाधवानी, किशन गंगवानी व उनकी टीम के नेतृत्व में उनके ही प्रांगण में रोजाना 8 हजार से अधिक लोगों का भोजन बनाया जाता है और सामाजिक दूरी का पालन करते हुए उन मजदूरों को पहुंचाया भी जा रहा है। इस मानव सेवा से शहर के व्यापारी संघटनाओं को सीख लेनी चाहिए। शहर में करीब तीन प्रमुख बड़ी व्यापारी संघटनाएं हैं लेकिन कोई भी बड़ी संघटना द्वारा इस तरह का मानव सेवा कार्य नहीं कर रही है। अगर कोई कर रहा है तो निजी तौर पर अथवा सामाजिक संस्था द्वारा कर रहा है। उल्हासनगर गारमेंट्स मैन्युफेक्चर्स एसोसिएशन के प्रमुख गोपी वाधवानी ने बताया कि जब तक लॉकडाऊन जारी रहेगा हमारी सेवाएं भी जारी रहेंगी। उल्हासनगर में उपरोक्त संस्था ने हजारों लोगों के भोजन की व्यवस्था कर मिसाल कायम की है।