मुंबई। कोरोना वायरस दुनियाभर में कहर बरपा रहा है। सरकारें वायरस को फैलने से रोकने के लिए पूरी ताकत लगा रही हैं तो वैज्ञानिक इलाज और बचाव को लेकर शोध में जुटे हैं। छह भारतीय कंपनियां भी कोविड-19 से बचाने वाला वैक्सीन बनाने में जुटी हैं। एक बड़े भारतीय वैज्ञानिक ने यह जानकारी दी। हालांकि, इनके बाजार में आने में अभी समय लगेगा।
करीब 70 वैक्सीन की जांच चल रही है और कम से कम तीन मानव पर क्लिनिकल ट्रायल स्टेज में पहुंची हैं। लेकिन 2021 से पहले इनके बाजार में आने की संभावना कम है। दुनिया में करीब 19 लाख लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और 1 लाख 26 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।
ट्रैन्स्लैशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नॉलजी इंस्टिट्यूट फरीदाबाद के एग्जीक्युटिव डायरेक्टर गगनदीप कांग ने कहा, 'जाइडस काडिला दो वैक्सीन पर काम कर रही है। इसके अलावा सीरम इंस्टीट्यूट, बायोलॉजिकल ई, भारत बायोटेक, इंडियन इम्यूनोलोजिकल्स और मायनवैक्स भी एक-एक वैक्सीन डिवेलप करने में जुटी हैं।'
अभूतपूर्व तेजी से काम
कांग कोलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस इनोवेशन (CEPI) के भी उपाध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा, 'कोविड-19 के खिलाफ ग्लोबल वैक्सीन पर रिसर्च एंड डिवेलपमेंट स्केल और स्पीड के मानक पर अभूतपूर्व है। लेकिन यह बहुत जटिल प्रक्रिया है। इसके कई चरण होते हैं जिसमें कई चुनौतियां होती हैं। कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन बनने में 10 साल का समय नहीं लगेगा जैसा कि अक्सर लगता है, लेकिन सुरक्षित, प्रभावी साबित करने और सबके लिए सुलभ बनाने में एक साल का समय तो लगेगा।'
वैक्सीन बनाने में लग जाते हैं सालों
केरल में राजीव गांधी सेंटर फॉर बोयोटेक्नॉलजी के मुख्य वैज्ञानिक ई. श्रीकुमार कहते हैं, 'वैक्सीन डिवेलपमेंट बहुत लंबी प्रक्रिया है, जिसमें अक्सर सालों लग जाते हैं, इसमें बहुत सी चुनौतियां होती हैं।' हैदराबाद में सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मोलिक्युलर बायोलॉजी के डायरेक्टर राकेश मिश्रा ने कहा, 'आमतौर पर वैक्सीन को अलग-अलग स्टेज से गुजरने में कई महीने लग जाते हैं। हम उम्मीद नहीं कर रहे हैं कि इस साल वैक्सीन आएगा।' मानव पर परीक्षण से पहले वैक्सीन की लैब टेस्टिंग पर जानवरों पर ट्रायल होता है। श्रीकुमार कहते हैं कि मानव पर परीक्षण के भी कई फेज होते हैं।